Rani Durgavati University: शोध विद्यार्थियों के साथ गाइड को भी साबित करनी होगी काबिलियत

जबलपुर, शोध की गुणवत्ता में सुधार को लेकर रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी ने शोध निदेशकों की भी काबिलियत का आंकलन करने का निर्णय लिया है। विद्या परिषद की बैठक में तय हुआ है कि सभी शोध निदेशकों को हर पांच साल में कामकाज का ब्योरा देना होगा। उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयाेग के मापदंड पर खरा उतरना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो शोध निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रादुविवि में विद्यापरिषद की बैठक में यह निर्णय हुआ। मंगलवार को विद्यापरिषद की स्थायी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में शोध की गुणवत्ता में सुधार के लिए उपयुक्त कदम उठाने हेतु निर्देशित किया गया।
कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र की उपस्थिति में आयोजित हुई बैठक में पंजीकृत शोध निदेशकों से गत 5 वर्षों के शोध कार्यों की प्रकाशन अवधि, शोध प्रकाशक संस्था, आईएसएसएन नंबर व शोध कार्यों का विवरण विवि आरडीसी सेल में प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किये जाने का निर्णय लिया गया। ताकि अकादमिक शोध गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। बैठक में विवि से संबद्ध कॉलेजों में कोड 28 एवं 27 मामलों के अंतर्गत शिक्षकों की नियुक्तियां एवं निरंतरता, संबद्धता की सीलबंद लिफाफों में की गई अनुसंशा को मान्य किया गया।
बैठक में कुलसचिव प्रो.ब्रजेश सिंह, संकायाध्यक्ष प्रो.अलका नायक, प्रो.एसएस पांडेय, प्रो. सुरेन्द्र सिंह, डा.अमित गुप्ता, प्रो.धीरेंद्र पाठक, उपकुलसचिव डा. दीपेश मिश्रा, सह कुलसचिव मोनाली सूर्यवंशी सहित अन्य मौजूद रहे।