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Sarvapitri Amavasya 2021: 11 साल बाद बन रहे गजछाया योग में होगा ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण


Sarvapitri Amavasya 2021: इंदौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। 17 दिनी पितरों के पूजन का पर्व श्राद्ध पक्ष का समापन 6 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा। इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाएगा जिनके निधन की तिथि ज्ञात न हो। इस मौके पर 11 साल बाद गजछाया योग बनेगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक इस मंगलकारी संयोग में पितरों का तर्पण और दान से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आर्शीवाद मिलता है।


सर्वपितृ अमावस्या मंगलवार को शाम 07 बजकर 04 मिनिट से बुधवार को दोपहर 4.34 बजे तक रहेगी। ज्योतिर्विद आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्ना होते हैं। माना जाता है कि इस योग में तर्पण करने से पितरों की 12 साल की भूख शांत होती है। यह संयोग इससे पहले 2010 में बना था।


सर्व पितृ अमावस्या के लिए किए विशेष प्रबंध

श्रद्धा सुमन सेवा समिति के हरि अग्रवाल ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण के अनुष्ठान के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रबंध स्थल का विस्तार के साथ लोगों से निर्धारित समय पर पहुंचने की अपील की जा रही है। इस मौके पर जिन लोगों को अपने दिवंगतों की मृत्यु की तिथि पता नहीे हैं अथवा जो अब तक तर्पण में भाग नहीं ले सकें हैं उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या को एक अवसर अभी भी उपलब्ध है। ऐसे लोग घर से स्नान कर सुबह 7.30 बजे तक हसंदास मठ पहुंच जाएं। उन्हे तर्पण की सभी सामग्री निशुल्क मिलेगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों के आने का अनुमान है।


श्रद्धा सुमन सेवा समिति के हरि अग्रवाल ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण के अनुष्ठान के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। प्रबंध स्थल का विस्तार के साथ लोगों से निर्धारित समय पर पहुंचने की अपील की जा रही है। इस मौके पर जिन लोगों को अपने दिवंगतों की मृत्यु की तिथि पता नहीे हैं अथवा जो अब तक तर्पण में भाग नहीं ले सकें हैं उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या को एक अवसर अभी भी उपलब्ध है। ऐसे लोग घर से स्नान कर सुबह 7.30 बजे तक हसंदास मठ पहुंच जाएं। उन्हे तर्पण की सभी सामग्री निशुल्क मिलेगी। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों के आने का अनुमान है।

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