किस्सा उस विधानसभा सीट का जहां 'राम नाम' का चलता है जादू, PM-CM सब होते हैं नतमस्तक
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव हो राम नाम पर बात ना हो, ऐसा शायद ही कभी ऐसा हुआ। इस बार के विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Election 2022) में राम मंदिर निर्माण का श्रेण लेने की होड़ है तो इससे पहले के चुनावों में राम मंदिर (Ram Mandir) के निर्माण को लेकर वादे किए जाते थे। यूपी चुनाव (UP Chunav) में राम नाम की महत्ता हमेशा से रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी प्रदेश में एक विधानसभा सीट ऐसी है जहां राम नाम का जादू चलता है। हम जिस विधानसभा सीट की बात कर रहे हैं, इत्तेफाक देखिए ये सीट भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में है। वही अयोध्या जहां देश के पीएम से लेकर प्रदेश के सीएम तक सीस नवाते हैं। अयोध्या (Ayodhya) की बीकापुर विधानसभा सीट (Bikapur Assembly Seat) पर राम नाम के प्रत्याशियों का कब्जा सबसे ज्यादा बार रहा है। आज कहानी उत्तर प्रदेश में हम इसी सीट के बारे में बात करेंगे। अयोध्या की बीकापुर विधानसभा सीट से गजब का संयोग रहा है। यहां अब तक हुए चुनावों में 10 विधायक ऐसे हैं जिनके नाम में राम शब्द जुड़ा हुआ है। रिकॉर्ड देखें तो इस सीट से 6 बार सीताराम निषाद, तीन बार श्रीराम दिवेदी और एक बार परशुराम यादव विधायक बने हैं। 2007 में बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार बबलू ने समाजवादी पार्टी के सीताराम निषाद को हराकर जीत दर्ज की। 2012 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मित्र सेन यादव ने जीत दर्ज की। 2017 में इस सीट पर 26 सालों के बाद कमल खिला। भाजपा प्रत्याशी शोभा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी एवं वर्तमान विधायक को हराकर जीत दर्ज की। 1974 में शुरू हुआ सिलसिला 1962 में सृजित हुए बीकापुर विस क्षेत्र में इसी वर्ष इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ और कांग्रेस के अखंड प्रताप सिंह विधायक चुने गए। इसके बाद वर्ष 1967 में हुए चुनाव में आरबी द्विवेदी विधायक बने थे। उनके बाद अब तक की जिले की एक मात्र महिला विधायक रानी मानवती सिंह को विधानसभा चुनाव में सन 1969 में सफलता मिली थी। 1974 में पहली बार यहां राम नाम के प्रत्याशी को जीत मिली। इस चुनाव में सीताराम निषाद विधायक चुने गए। 1977 में जनता पार्टी के टिकट से दोबारा विधायक चुने गए। तीसरी बार 1980 में वे कांग्रेस पार्टी से विधायक चुने गए। 1985 में चौथी बार वे विधायक चुने गए। 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संत श्रीराम द्विवेदी ने चुनाव जीता। हालांकि संत श्रीराम द्विवेदी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले थे। लेकिन आखिरी समय चुनाव चिन्ह को लेकर हुई विवाद की वजह से निर्दलीय चुनाव लड़े। 1991 में हुए चुनाव में संत श्रीराम द्विवेदी भाजपा के टिकट पर लड़े और चुनाव जीते। 1993 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रांशु राम ने जीत दर्ज की। 1996 में सीताराम निषाद फिर पांचवी बार विधायक चुने गए। उन्होंने इस बार सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के जितेंद्र कुमार बबलू ने सीताराम निषाद को हरा दिया। 2012 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मित्र सेन यादव ने जीत दर्ज की। 1991 के बाद पहली बार 2017 में बीजेपी का इस सीट पर जीत नसीब हुई। अब तक कौन-कौन जीतावर्ष-दल-विधायक 1962-कांग्रेस-अखंड प्रताप सिंह 1967-कांग्रेस-आरबी द्विवेदी 1969-कांग्रेस-रानी मानवती देवी 1974-बीकेडी-सीताराम निषाद 1977-जनता पार्टी-श्रीराम द्विवेदी 1980-कांग्रेस-सीताराम निषाद 1985-कांग्रेस-सीताराम निषाद 1989-कांग्रेस-श्रीराम द्विवेदी 1991-बीजेपी-श्रीराम द्विवेदी 1993-सपा-परशुराम यादव 1996-सपा-सीताराम निषाद 2002-सपा-सीताराम निषाद 2007-बसपा-जितेंद्र सिंह बब्लू 2012-सपा-मित्रसेन यादव 2016-सपा-आनंदसेन यादव (उपचुनाव) 2017- भाजपा- शोभा सिंह चौहान अयोध्या की रुदौली , मिल्कीपुर, बीकापुर , गोसांईगंज और अयोध्या शहर सीटों पर पर 27 फरवरी को चुनाव होगा।
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