Weight loss की इस पॉपुलर डाइट को लोगों ने कह दिया 'NO', अब पहली फुर्सत में अपना रहे ये वाला Diet Plan
पिछले कई सालों में पॉपुलर हो चुकी कीटो डाइट को लोगों ने फॉलो करना कम कर दिया है। इसके बजाय अब वजन कम करने के साथ फिट रहने के लिए दूसरे तरीके अपना रहे हैं।
नए साल की शुरुआत में लोगों ने सेहत को लेकर कई संकल्प लिए। वहीं फिटनेस फ्रीक लोग भी नियमित रूप से कसरत और नए आहार के साथ फिटनेस की दिशा में नए कदम उठा रहे हैं। बता दें कि लोग वजन घटाने के लिए बहुत सी डाइट का सहारा लेते हैं, लेकिन इस नए साल में लोगों ने एक पॉपुलर डाइट को फॉलो करना छोड़ दिया है, वो है 'कीटो डाइट'।
क्विक फिक्स वेटलॉस के रूप में यह डाइट कई सालों से ट्रेंड में है, लेकिन हाल ही में इस डाइट की पॉपुलेरिटी में काफी कमी देखी गई है। लोग नए-नए डाइट ट्रेंड के चलते कीटो डाइट से किनारा करने लगे हैं, यहां तक की अब लोग गूगल पर भी इस डाइट के बारे में सर्च नहीं करते। इसकी मुख्य वजह इसमें कार्बोहाइड्रेट के सेवन को प्रतिबंधित करना है।
जबकि बहुत से लोग मानते हैं कि वे कार्बोहाइड्रेट को प्रतिबंधित किए बिना वजन कम कर सकते हैं। ऐसे में लोगों को कीटो डाइट का पालन करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही। अब वे स्वस्थ वजन बनाए रखने और फिट रहने के लिए कई दूसरे विकल्प अपना रहे हैं। तो आइए जानते हैं क्या होती है कीटो डाइट और इसके बजाय लोग फिट रहने के लिए कौन से विकल्प अपना रहे हैं।
क्या होती है कीटो डाइट
भी कहते हैं। यह एक हाई फैट डाइट है। इस डाइट में शरीर ऊर्जा के लिए फैट पर निर्भर रहता है। इस डाइट में कार्बोहाइड्रेट बहुत कम और प्रोटीन बहुत ही मॉडरेट मात्रा में दिया जाता है। कुल मिलाकर इस डाइट में आपको कार्बोहाइड्रेट का सेवन बहुत कम या नहीं करना होता जबकि फैट बहुत ज्यादा मात्रा में लेना होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस डाइट में कुछ गिनी चुनी सब्जियों का सेवन करने की अनुमति होती है, जबकि फल बिल्कुल नहीं खाने होते। बता दें कि
के बिना लिवर और गॉलब्लैडर द्वारा लिए जा रहे फैट्स को पचाना काफी मुश्किल हो जाता है।
जहां आपका शरीर रोजाना 20 ग्राम फैट पचा रहा होता है, वहां कार्ब के बिना उसे रोजाना 100 ग्राम फैट पचाना पड़ेगा। ऐसे में आपका लिवर कमजोर हो जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि भले ही क्विक फिक्स वेटलॉस के रूप में कीटो डाइट पॉपुलर हो गई है, लेकिन इसे
के लिए बिल्कुल भी फॉलो नहीं किया जाना चाहिए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग का है ट्रेंड
से स्विच करने के बाद अब लोग पहली फुर्सत में इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपना रहे हैं। उन्हें अहसास हो गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग कम खाने के बारे में कम और एक निश्चित समय में खाने के बारे में ज्यादा है। इस वजह से इंटरमिटेंट फास्टिंग को फॉलो करने वालों की संख्या अब धीरे-धीरे बढ़ने लगी है। भले ही इस डाइट को वजन घटाने के लिए जाना जाता है, लेकिन अगर पोषक तत्वों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो इसके फायदे वजन घटाने से कहीं ज्यादा हैं।
पीने के तरीकों के बारे में जागरूक हो रहे लोग
स्पिरिट्स, बीयर, सेल्टेजर्स और कॉकटेल को नो लॉस के रूप में डिफाइन किया गया है। अच्छी बात ये है कि ये सभी बिना अल्कोहल या कम अल्कोहल वाले ड्रिंक हैं, जिन्हें पिछले एक साल में लोगों ने खूब पसंद किया है। अध्ययनों से पता चला है कि अब लोग अपने पीने के तरीकों के बारे में जागरूक हो रहे हैं और इसके बेहतर विकल्पों को पसंद कर रहे हैं। इससे उनके
में काफी सुधार भी आने लगा है।
ईको फ्रेंडली डाइट
रिड्यूसटेरियंसिम ईकोफ्रेंडली डाइट लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो रही है। इस डाइट को फॉलो करने वाले लोग अपने आहार में कभी -कभी मांस और मुर्गी के साथ शाकाहारी भोजन का सेवन कर लेते हैं। एनिमल बेस्ड प्रोडक्टस को पूरी तरह से छोडऩे के बजाय यह आहार कभी -कभी मीट खाने पर केंद्रित है।
साबुत अनाज का ज्यादा सेवन
पुरानी सूजन को नियंत्रण में रखने के लिए कम प्रोसेस्ड फूड का ऑप्शन चुनन बेहद जरूरी है। कम प्रोसेस्ड फूड भोजन की पोषण सामग्री को महत्वपूर्ण रूप से बदलता नहीं है। कटे हुए फल और सब्जियां, बेक्ड सैलेड, पत्तेदार साग और भुने हुए मेवे सभी न्यूनतम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बेहतरीन उदाहरण हैं। लंबी और स्वस्थ जीवनशैली के लिए अब लोगों ने होल फूड ज्यादा और प्रोसेस्ड फूड को कम अहमियत देना शुरू कर दिया है।
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डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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