ब्लॉगः जब चंद्रशेखर के लिए नियम बदला राजीव ने
1984 का चुनाव विपक्षी दलों के लिए विनाश का तूफान लेकर आया। सारे दल और सारे नेता कांग्रेस या कहें कि राजीव गांधी की आंधी में तिनकों की तरह उड़ गए। चंद्रशेखर चुनाव हार गए। वह तीन दिनों तक अपनी झोंपड़ी में बंद रहे। उन्हें इतना धक्का लगा कि किसी से मिले तक नहीं। मैंने जितनी सभाएं चंद्रशेखर की देखी थीं, वे कहीं से यह संकेत नहीं दे रही थीं कि तूफान आने वाला है... विनाशकारी तूफान! चंद्रशेखर के लिए एक और समस्या खड़ी हो गई थी। उनके पास दिल्ली में कोई घर नहीं था। या तो उन्हें परिवार सहित बलिया लौटना पड़ता या फिर किराये के मकान में जाना पड़ता।
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