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वादों की भरमार, ताबड़तोड़ प्रचार फिर भी 'नो' रिजल्‍ट... आखिर उत्‍तराखंड में कहां चूक गई AAP?

Uttarakhand Exit Polls 2022: उत्‍तराखंड के चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी (AAP) ने धूम-धड़ाके के साथ एंट्री की थी। उसने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सहित पार्टी के तमाम प्रमुख नेताओं ने पहाड़ी राज्‍य के एक के बाद एक कई दौरे किए। राज्‍य के लोगों के सामने दिल्‍ली का मॉडल रखा गया। तमाम तरह की बुनियादी सुविधाओं को मुफ्त देने का वादा किया गया। हालांकि, ये वादे (AAP Promises) राज्‍य के लोगों को रिझाने में कामयाब नहीं हुए। उत्‍तराखंंड के एग्जिट पोल के नतीजों (Uttarakhand Exit Poll Results) से फिलहाल तो यही लगता है। राज्‍य के तमाम एग्जिट पोल में आप कहीं दूर-दूर तक नहीं दिख रही है। सोमवार शाम को उत्‍तराखंड सहित 5 राज्‍यों के चुनाव पर एग्जिट पोल आए। टाइम्‍स नाउ-वीटो, एबीपी-सी वोटर, इंडिया टुडे- एक्सिस माइ इंडिया से लेकर न्‍यूज एक्‍स पोलस्‍टार्ट और रिपब्लिक पी मार्क तक किसी भी एग्जिट पोल में आप को अध‍िकतम 6 सीट दी गई हैं। राज्‍य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्‍य टक्‍कर दिखाई गई है। एग्जिट पोल के आंकड़े अगर हकीकत में बदलते हैं तो कुल मिलाकर यही कहा जाएगा कि राज्‍य के लोगों ने पार्टी को तवज्‍जो नहीं दी है। यह बात इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि आप दिल्‍ली से निकलकर दूसरे राज्‍यों में अपनी पहुंच बढ़ाने में जुटी है। माना जा रहा था कि आप उत्‍तर प्रदेश, उत्‍तराखंड से लेकर पंजाब और गोवा तक सियासी गणित बिगाड़ने का दमखम रखती है। इन राज्‍यों में अपने 'दिल्‍ली फॉर्मूले' के साथ पार्टी के मुखिया ने दस्‍तक दी थी। दिल्‍ली में आप सरकार महिलाओं को मुफ्त बस सवारी, 200 यूनिट तक फ्री बिजली और 400 यूनिट तक सब्सिडी के अलावा 20 हजार लीटर प्रति माह तक मुफ्त पानी और गरीब बच्चों को फ्री शिक्षा देती है। यही नहीं, मुफ्त वाई-फाई के साथ नए पानी और सीवर कनेक्शन के लिए डेवलपमेंट चार्ज में भी छूट देती है। मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त इलाज, दवाएं और जांच की सुविधा मिलती है। पैनल में शामिल अस्पतालों में मुफ्त सर्जरी भी ऑफर करती है। सड़क हादसों और आग की घटनाओं में पीड़ितों के इलाज का खर्च भी सरकार उठाती है। उत्‍तराखंड में भी आप ने यही दिल्‍ली मॉडल दिखाकर एंट्री की थी। इसने खलबली जरूर मचाई और पार्टी के बारे में चर्चा भी होने लगी। लेकिन, एग्जिट पोल के आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि ये वोट में नहीं तब्‍दील हुए। आखिर क्‍या वजह रही जो आप अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में चूक गई। यह बात समझनी होगी कि उत्‍तराखंड में आप बिल्‍कुल नई थी। इसके मुकाबले बीजेपी और कांग्रेस की पैठ राज्‍य में दशकों से है। इन पुरानी पार्टियों का किला एक झटके में ध्‍वस्‍त कर देना इतना आसान नहीं है। दोनों पुरानी पार्टियों की पहुंच राज्‍य के सुदूर इलाकों तक है। इनके उम्‍मीदवारों की अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ भी उतनी ही है। किसी भी नई पार्टी के लिए इन इलाकों में पहुंचकर लोगों के वोटों को अपने पक्ष में कर लेना आसान नहीं है। पहाड़ के वोटरों का रुझान मैदानी इलाकों से अलग होता है। अमूमन वे समूह में वोट करते हैं। उनके मुद्दे और जरूरतें भी मैदानी इलाकों से अलग होते हैं। ऐसे में राज्‍य के वोटरों की नब्‍ज को टटोल पाना इतना आसान नहीं है। न तो दिल्‍ली को उत्‍तराखंड बनाया जा सकता है न उत्‍तराखंड को दिल्‍ली। दोनों में कोई समानता नहीं है। ऐसे में दिल्‍ली मॉडल को उत्‍तराखंड में दिखाकर वोट पाने की चाहत में ही बुनियादी गड़बड़ी थी। लोग इसके चलते आप से जुड़ नहीं पाए।


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