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यूक्रेन मेरा दूसरा घर, हालात ठीक होते ही फिर जाना है, यूक्रेन से भीलवाड़ा लौटी शिवानी की आपबीती

प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा: यूक्रेन मेरा दूसरा घर बन चुका है। हालात ठीक होते ही अपनी दादी का मुझे डाक्टर बनाने का सपना पूरा करने के लिए फिर वापस यूक्रेन जाना है। यह कहना है रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के दौरान बिगड़े हालातों के बाद वतन वापस लौटी भीलवाड़ा की शिवानी का। शिवानी युक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी। टैक्सी ड्राइवर महेन्‍द्र शर्मा की बेटी शिवानी के सकुशल लौटने के बाद पूरा परिवार खुश है लेकिन शिवानी को अपनी पढ़ाई की चिंता भी सता रही है। शिवानी जब वापस अपने घर भीलवाड़ा लौटी तो मां सीमा, दादा रामगोपाल और दादी पार्वती भावुक हो उठे। खुशी से उनकी आंखे नम हो गई। पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों ने भी शिवानी का स्‍वागत किया। शिवानी के परिवार ने केन्‍द्र और राज्‍य सरकार का आभार भी व्‍यक्‍त किया है। युक्रेन से अपने घर भीलवाड़ा लौटी शिवानी ने कहा कि, 'कीव में जब बम ब्‍लॉस्‍ट हुआ था तब यह कहा गया था कि भारतीय दूतावास हमें वहां से सकुशल घर ले जायेगा। लेकिन मन में यह डर था कि जब सायरन बजे तो बंकर में जाना है। हम लोगों को बंकर का पता दे रखा था और हमें यह बता रखा था कि हमसे कौनसा बंकर कितना पास है। हम कितने किलोमीटर तक भाग सकते हैं यह भी समझाया गया था।' राजस्‍थान सरकार ने हमारा स्‍वागत किया शिवान कहती है, 'हमें यही डर रहता था कि जब भी सायरन बजेगा हमें बंकर में जाना है। हमें बार्डर तक बस उपलब्‍ध करवाई गई बॉर्डर पर 6 से 7 घंटे तक खड़े रहे और उसके बाद हम रोमानियां पहुंचे। रोमानियां एयरपोर्ट पर भारतीय दूतावास ने हमें सारी सुविधाएं प्रदान की और हम फ्लाइट से मुम्‍बई पहुंचे। उसके बाद मुम्‍बई में राजस्‍थान सरकार ने हमारा स्‍वागत किया और राजस्‍थान भवन में रूकवाकर खाना खिलाया और हमें जयपुर लेकर आये। और जयपुर से भीलवाड़ा तक सकुशल पहुंचाया।' केंद्र सरकार काफी मदद कर रही है यूक्रेन से लौटी शिवानी ने वहां के हालातों के बारे में बताया कि, 'छात्र बॉर्डर पार नहीं कर पा रहे हैं। क्‍योंकि युक्रेन के नागरिकों के पास हथियार है जो उनकी सरकार ने उपलब्‍ध करवा रखे है और वह उससे फायर कर रहे हैं। इस फायरिंग की वजह से रोमानियां ने अपना बोर्डर बन्‍द कर रखा है। बच्‍चों को दो-दो, तीन-तीन दिन खड़े रहना पड़ रहा है और उनके पास कोई व्‍यवस्‍था नहीं है मगर केन्‍द्र सरकार काफी मदद कर रही है। केन्‍द्र और राज्‍य सरकार ने हमें सारी सुविधाऐं फ्री दी हैं। अब अपने परिजनों से मिलकर मुझे बहुत राहत मिली है।' बंकर में परेशानियां हैंटैक्‍सी चालक पिता महेन्‍द्र शर्मा की बेटी शिवानी पिछले 3 साल से यूक्रेन के चरणीवसी में बुकोविनियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी। एमबीबीएस की थर्ड ईयर की छात्रा शिवानी कहती है कि, मेरी केन्‍द्र और राज्‍य सरकार से यही रिक्‍वेस्‍ट है कि सभी बच्‍चों को जल्‍दी से जल्‍दी भारत लाया जाये। क्‍योंकि बंकर में काफी परेशानियां हैं। विपरित परिस्थितियों में मैं और मेरे परिजन काफी स्‍ट्रॉग रहे मगर मेरी बुजुर्ग दादी को काफी चिंता हो रही थी।' यूक्रेन मेरा दूसरा घर बना शिवानी कहती है कि, 'वैसे यूक्रेन मेरा दूसरा घर बन चुका है। मैं वापस यूक्रेन जाना चाहती हूं। वहां मेरे तीन साल में काफ़ी दोस्त बन चुके हैं। वो देश काफी अच्‍छा और शांति वाला देश है। यूक्रेन में कभी लड़ाई झगड़ा नहीं होता है। वहां पर लडकियां आजादी से रह सकती हैं। रात में भी अकेले घूम सकती हैं। कोई ख़तरा नहीं है। ऐसे देश को युद्ध करके खराब करना ठीक नहीं है। हम तो यही चाहते है कि जैसे-तैसे युद्ध खत्‍म हो जाये।'


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