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ब्लॉगः चीन को शायद लगा कि इस समय रूस की साइड लेना काफी महंगा पड़ सकता है

शी चिन फिंग अक्सर व्लादिमीर पूतिन को अपना बेस्ट फ्रेंड बताते रहते हैं। लेकिन बीते शनिवार जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस दोस्ती की परीक्षा की घड़ी आई तो उन्होंने ठीक वही किया जो नरेंद्र मोदी ने किया। शी और मोदी दोनों तटस्थ रहे, न अमेरिका को सपोर्ट किया और न ही रूस को। मामला उस निंदा प्रस्ताव का था, जो अमेरिका यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ लाया था। बहुतों को उम्मीद थी कि बड़ी शक्तियों में रूस का सबसे करीबी दोस्त होने के नाते चीन प्रस्ताव को वीटो करने में उसके साथ खड़ा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रस्ताव तभी गिरा, जब रूस ने उसे वीटो किया। दिलचस्प यह कि चीन और भारत दोनों ने तटस्थ रहने का कारण भी बिल्कुल एक सा बताया। दोनों का कहना था कि वे कूटनीतिक बातचीत के दरवाजे बंद नहीं करना चाहते, जो कि उनके मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निंदा प्रस्ताव पारित करके रूस को कोने में धकेलने की कोशिशों से बंद हो सकते थे।

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