Top Story

कभी सटीक रहे तो कभी फेल हो गए एग्जिट पोल, जानिए कब किसे मिला 'धोखा'

लखनऊ : विधानसभा चुनाव ( 2022) का सोमवार को आखिरी चरण पूरा होने के बाद आए ज्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनती दिख रही है। वहीं, अन्य दल इन अनुमानों को मानने को तैयार नहीं हैं। दोनों पक्षों के पास इन अनुमानों पर भरोसा करने और न करने की वजहें भी हैं। पिछले चुनावों पर नजर डाली जाए तो साफ हो जाता है कि कई बार एग्जिट पोल एजेंसियों के अनुमान नतीजों के काफी करीब रहे, जबकि कई बार अनुमान पूरी तरह फेल भी हो गए। इस बारे में एग्जिट पोल से जुड़े विशेषज्ञ खुद मानते हैं कि कोई जरूरी नहीं कि सभी सर्वे सही हों। वह बताते हैं कि एग्जिट पोल की विश्वसनीयता उसके सैंपल साइज के साथ विविधता, व्यापक प्रश्नावली और तकनीक पर निर्भर करती है। मिले-जुले अनुमान बताते रहे हैं एग्जिट पोल विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो एग्जिट पोल के अनुमान कभी सटीक हुए तो कभी गलत साबित हुए। 2007 से देखें तो इस साल सभी अनुमान फेल हुए। किसी भी एग्जिट पोल ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि कि मायावती की बसपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। इस चुनाव में 16 बाद राज्य में किसी पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। कुल 403 विधानसभा सीटों में बसपा को 206 सीटें मिली थीं। वहीं, 2012 के में सभी यह मान रहे थे कि सपा बड़ी पार्टी बनेगी और यह बात सही भी साबित हुई। जब नतीजे आए तो 224 सीटें जीतकर सपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बसपा को 80 सीटें मिलीं। भाजपा 47 और कांग्रेस 28 सीटों पर सिमट गई थी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सभी एग्जिट पोल में बड़ी पार्टी के तौर पर उभरते हुए दिखाया था। वहीं कुछ ने बहुमत का आंकड़ा पार करने का भी अनुमान लगाया था। इस बार भी एग्जिट पोल के अनुमानों से बहुत अधिक भाजपा को 312 और एनडीए को 325 सीटें मिलीं। सपा और कांग्रेस दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन सपा को 47 और कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटों पर संतोष करना पड़ा। वहीं, बसपा सिमटकर 19 सीटों पर रह गई। 2017 और 2019 में एग्जिट पोल के अनुमान बिल्कुल सही साबित हुए। 2014 में सही साबित हुए अनुमानसबसे चौंकाने वाले नतीजे 2014 में आए जब मोदी लहर में एनडीए ने 336 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई। उस दौरान भी अनुमान सही थे और एक एजेंसी ने एग्जिट पोल में भाजपा की 300 पार सीटें दिखाई थीं। वहीं, 2019 में सभी एजेंसियों के एग्जिट पोल के औसत के मुताबिक भाजपा को 308-309 सीटें मिलने का अनुमान था। उसी के मुताबिक नतीजे आए। भाजपा को 303 और एनडीए गठबंधन को 353 सीटें मिलीं। कांग्रेस 52 और यूपीए 92 सीटों पर सिमट गया। 2015 में फेल, 2020 में सही2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल फेल हो गए थे। इसमें तीन साल पहले बनी आम आदमी पार्टी ने 70 में रेकॉर्ड 67 सीटें जीती थीं। भाजपा को तीन सीटें मिलीं और 15 साल से लगातार सत्ता में रही कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई। किसी भी एग्जिट पोल में ऐसा अनुमान नहीं लगाया गया था। दिल्ली में 2020 के एग्जिट पोल अनुमान इस मायने में सही साबित हुए कि सभी ने आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का अनुमान लगाया था। नतीजे आए तो पार्टी ने 62 सीटें जीतकर सरकार बनाई। सैंपल साइज के साथ उसकी विविधता अहमराजनीतिक रणनीतिकार अमित दुबे कहते हैं कि एग्जिट पोल के लिए सैंपल साइज सबसे अहम होता है। सैंपल साइज जितना बड़ा होगा, उतना ही सटीक नतीजा जाएगा। इससे भी अहम हो जाता है कि सैंपल में कितनी विविधता है। किसी विधानसभा क्षेत्र के कुछ ही बूथों से सैंपल ले लेंगे तो अनुमान गलत हो सकते हैं। जरूरी है कि अधिक से अधिक बूथों तक पहुंचकर कोई नतीजा निकाला जाए। वहीं, कई सर्वे एजेंसियां और पीआर कंपनियां मिलकर यह काम करती हैं। ऐसे में अपनी पहले से तय योजना के तहत सर्वे और एग्जिट पोल किए जाते हैं। खुलकर नहीं बोलता वोटर सोशल मीडिया स्ट्रेट्जिस्ट अनूप मिश्र भी कहते हैं कि सैंपल साइज और विविधता तो अहम है ही, यह भी अहम है कि वोटर आपको सही जानकारी दे। सीधे सवाल पूछने पर वोटर खुलकर नहीं बोलता। इस वजह से कई बार सर्वे गलत हो जाते हैं। ऐसे में हमने इस बार हमने नए तरीके से चुनाव से ठीक पहले और ठीक बाद में सर्वे किया। लोगों को मोबाइल पर लिंक भेजकर उनकी राय जानी कि उन्होंने जिनको वोट दिया, उसको और कितनों ने वोट दिया। फोन पर वह खुलकर अपनी बात लिख सकते हैं। जिसने नहीं भी जवाब दिया, उसकी सोशल मीडिया कुकीज हमारे पास आ गईं। उससे हम उसकी विचारधारा का पता लगा सकते हैं। ऐसे कई नए तरीके भी आ गए हैं।


from https://ift.tt/JjHKFah https://ift.tt/76FrWSD