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किस चीज से बना है इन लोगों का शरीर, जिन्‍हें आज तक छू भी नहीं पाया Coronavirus; जानिए साइंटिस्ट क्या बताते हैं वजह

कोरोना वायरस ने दुनियाभर के लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया। पहली लहर जहां ज्यादा खतरनाक थी, वहीं दूसरी लहर में संक्रमण के कारण लाखों लोगों की मौत भी हुई। लेकिन हममें से ऐसे कई लोग हैं, जो एक ही वातावरण और एक ही स्थिति में रहने के बावजूद कोरोनावायरस से कभी संक्रमित नहीं हुए। इन लोगों को 'नो कोविड' या 'नेवर कोविड' वाले लोगों की कैटेगरी में रखा गया है। नो कोविड वाले लोग न केवल खुद को वायरल अटैक से बचाते हैं, बल्कि एक तरह से वायरस के संचरण को कम करने में मदद करते हैं। आप सोच रहे होंगे कि नो कोविड लोग कौन होते हैं। तो आपको बता दें कि ये वे लोग हैं, जो अब तक दुनियाभर में 440,807,756 लोगों को संक्रमित करने वाले कोरोनावायरस से संक्रमित न होकर भाग्यशाली रहे हैं। कोरोनावायरस के कारण होने वाले कोविड का पहली बार नवंबर 2019 में चीन के वुहान क्षेत्र में पता चला था। कुछ महीने बाद इसे WHO द्वरा वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया। तब से पूरी दुनिया कोविड संक्रमण की चपेट में है, जो अलग-अलग लक्षणों और गंभीरता के साथ अलग-अलग लहरों के साथ आ रहा है।

जिन्हें अब तक कभी भी कोरोना नहीं हुआ या जो कभी भी कोरोनावायरस से संक्रमित नहीं हुए उन्हें 'नो कोविड' या 'नेवर कोविड' वाले लोग कहा गया है। जानिए क्यों, एक ही जगह और एक ही वातावरण में रहने के बाद कुछ लोगों को कोविड नहीं हुआ।


No COVID: किस चीज से बना है इन लोगों का शरीर, जिन्‍हें आज तक छू भी नहीं पाया Coronavirus; जानिए साइंटिस्ट क्या बताते हैं वजह

कोरोना वायरस ने दुनियाभर के लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया। पहली लहर जहां ज्यादा खतरनाक थी, वहीं दूसरी लहर में संक्रमण के कारण लाखों लोगों की मौत भी हुई। लेकिन हममें से ऐसे कई लोग हैं, जो एक ही वातावरण और एक ही स्थिति में रहने के बावजूद कोरोनावायरस से कभी संक्रमित नहीं हुए। इन लोगों को 'नो कोविड' या 'नेवर कोविड' वाले लोगों की कैटेगरी में रखा गया है। नो कोविड वाले लोग न केवल खुद को वायरल अटैक से बचाते हैं, बल्कि एक तरह से वायरस के संचरण को कम करने में मदद करते हैं।

आप सोच रहे होंगे कि नो कोविड लोग कौन होते हैं। तो आपको बता दें कि ये वे लोग हैं, जो अब तक दुनियाभर में 440,807,756 लोगों को संक्रमित करने वाले कोरोनावायरस से संक्रमित न होकर भाग्यशाली रहे हैं।

कोरोनावायरस के कारण

होने वाले कोविड का पहली बार नवंबर 2019 में चीन के वुहान क्षेत्र में पता चला था। कुछ महीने बाद इसे WHO द्वरा वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया। तब से पूरी दुनिया कोविड संक्रमण की चपेट में है, जो अलग-अलग लक्षणों और गंभीरता के साथ अलग-अलग लहरों के साथ आ रहा है।



​अब तक आए हैं कोरोना के 5 म्यूटेंट वेरिएंट-
​अब तक आए हैं कोरोना के 5 म्यूटेंट वेरिएंट-

WHO द्वारा अब तक

कोरोनावायरस

के 5 म्यूटेंट वेरिएंट को कैटेगराइज किया गया है। दुनियाभर में कोविड के जोखिम को कम करने के लिए राज्य सरकारें लोकल लेवल पर लॉकडाउन लगा रही है। इन दो सालों में लोगों ने खुद को घर के अंदर रखकर, घर से काम करकर अैर यात्रा को कम करके वायरस से दूर रहने के लिए खुद को एक अलग माहौल में ढालने की कोशिश की है। हमारे बीच लोगों का एक ऐसा वर्ग है, जो उसी वातावरण में रहने के बावजूद , जहां कई लोग वायरस की चपेट में आए, वे संक्रमण से बचे रहे।



​संक्रमित न होने का क्या कारण है-
​संक्रमित न होने का क्या कारण है-

इंपीरियल कॉलेज लंदन के एक अध्ययन

में कहा गया है कि ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास हाई लेवल के टी सेल्स हैं। बता दें कि टी-सेल्स प्रतिरक्षा प्रणाली में एक प्रकार की मेमोरी सेल है, जो अन्य सामान्य सर्दी कोरोनावायरस से विकसित होती है। अध्ययन की पहली लेखिका

डॉ. रिया कुंडू

(Dr. Rhia Kundu) ने CNBC को एक इंटरव्‍यू के दौरान बताया कि- हमने पाया कि सामान्य सर्दी जैसे अन्य मानव कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर शरीर द्वारा बनाई गई पहले से मौजूद हाई लेवल की टी सेल्स कोविड-19

संक्रमण से बचा सकती

हैं।



Corona
Corona


​इसलिए व्यक्ति को नहीं हो पाता कोविड-
​इसलिए व्यक्ति को नहीं हो पाता कोविड-

कोरोनावायरस

कई तरह के हैं, जिनमें से ज्यादातर सामान्य सर्दी से जुड़े हैं। अध्ययन के अनुसार, सभी कोरोनावायरस अलग-अलग व्यवहार करते हैं, लेकिन इनमें कुछ ऐसी विशेषताएं हैं, जहां ये जैसे दिखते हैं। इस समानता के कारण ऐसा हो सकता है कि इम्यूनिटी सेल्स उन्हें पहचानने और शरीर के संपर्क में आते ही वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाते हैं और व्यक्ति को कोविड नहीं हो पाता।



​क्या नेवर कोविड वाले लोगों को वैक्सीनेशन जरूरी है-
​क्या नेवर कोविड वाले लोगों को वैक्सीनेशन जरूरी है-

अब तक वैक्सीनेशन वायरस के खिलाफ सबसे प्रभावी कवच है। ऐसा हो सकता है कि टीकाकरण के कारण , कोरोनावायरस का ऑमिक्रॉन वेरिएंट मनुष्य को गंभीरता से प्रभावित नहीं कर सकता। वायरस से बचाव के लिए निश्चित रूप से वैक्सीनेशन जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हर व्यक्ति को एहतियाती खुराक या बूस्टर शॉट्स भी लेने चाहिए।



​संक्रमण फैलाने में योगदान देते हैं बिना लक्षण वाले लोग-
​संक्रमण फैलाने में योगदान देते हैं बिना लक्षण वाले लोग-

हम सभी जानते हैं कि स्पर्शोन्मुख व्यक्ति वे लोग हैं, जिनमें कोई

लक्षण दिखई नहीं देते

। लेकिन संक्रमित व्यक्तियों की तरह ही वायरस से संचरण के लिए समान रूप से जिम्मेदार है। नो कोविड लोग वे हैं, जिनके अंदर संक्रमण या वायरस नहीं है।

इन लोगों में एक प्रतिरक्षा प्रणाली होती है, जो वायरस से सुरक्षित रहती है। चूंकि उनके भीतर वायरस नहीं है, इसलिए संभावना है कि वे बीमारी नहीं फैलाएंगे। हालांकि, कई स्पर्शोन्मुख व्यक्ति टेस्ट नहीं कराते, क्योंकि उन्हें कोई बीमारी नजर नहीं आती, जिस कारण उन्हें लगता है कि उनकी प्रतिरक्षा मजबूत है। लेकिन वास्तव में वे संक्रमण को उतना ही फैलाने में योगदान करते हैं , जितना की कोई संक्रमित।



​वैक्सीन का क्या रोल है-
​वैक्सीन का क्या रोल है-

ओमिक्रॉन वेव के दौरान देखी गई कम गंभीरता और कम अस्पताल में भर्ती होने का श्रेय विशेषज्ञ दुनियाभर में वैक्सीनेशन प्रोग्राम को देते हैं। जिन लोगों को कोविड नहीं हुआ, इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि क्रॉस रिएक्टिव इम्यूनिटी और वैक्सीन ने इन लोगों को सुरक्षित रखा है।

अंग्रेजी में इस स्‍टोरी को पढ़ने के लिए

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डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।





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