देवता स्वर्ग में भी नाम लेते हैं...भारत vs इंडिया पर जब संविधान बनाते छिड़ी डिबेट, जानें पहले मसौदे में क्या था
नई दिल्ली: जैसे कुछ दिनों से देश में भारत vs इंडिया विवाद गरमाया है वैसा ही कुछ हाल आजादी के बाद भी था। दरअसल 4 नवंबर 1948 को प्रारूप समिति के अध्यक्ष बीआर आंबेडकर ने भारत के संविधान का जो पहला मसौदा पेश किया था उसमें 'भारत' नाम नहीं था। कुछ सदस्यों ने मूल नाम को छोड़ने पर ऐतराज जताया था। इस पर बहस छिड़ गई। लगभग एक साल बाद जब टेक्स्ट को अंतिम रूप देने का काम पूरा हो रहा था तब जाकर आम सहमति बनी। 18 सितंबर, 1949 को आंबेडकर ने आर्टिकल-1 का मसौदा तैयार करने के लिए निम्नलिखित संशोधन पेश किया, जिसमें देश के नाम का उल्लेख कुछ इस तरह से किया गया हैः 'इंडिया, यानी भारत राज्यों का संघ होगा। लेकिन सभा के सदस्य एचवी कामत ने कहा था कि यह एक बेढंग रचना है। उन्होंने दो विकल्प सुझाए: 'भारत या अंग्रेजी भाषा में, India राज्यों का संघ होगा' या 'हिंद या, अंग्रेजी भाषा में इंडिया, राज्यों का संघ होगा'। कामत ने आयरलैंड का उदाहरण दिया था: 'स्टेट का नाम Eire है या अंग्रेजी भाषा में, आयरलैंड।' वह 'अंग्रेजी भाषा में, भारत' करना चाहते थे क्योंकि कई देशों में इंडिया को तब तक 'हिंदुस्तान' के रूप में जाना जाता था और देश के सभी मूल निवासियों के संदर्भ में हिंदू शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, उनका धर्म कुछ भी हो...।
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