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मुआरी से शारदा कोयला खदान स्थानांतरित होकर आए 300 कर्मचारी अभी तक अस्थाई क्यों?

लगभग 8 माह बीतने के बावजूद भी मुआरी कोयला खदान से शारदा कोयला खदान में स्थानांतरित होकर आए कर्मचारियों को नहीं किया गया स्थाई।

लगभग 300 कर्मचारीयो का अस्थाई रूप से मुआरी खदान से शारदा खदान मे किया गया था स्थानांतरण।

अंगद के पांव की तरह विगत कई वर्षों से एक ही क्षेत्र में जमे अधिकारियों का भी आखिर क्यों नहीं हो रहा स्थानांतरण।

गुढ़ी-अम्बाड़ा - उपक्षेत्र अंबाड़ा के अंतर्गत आने वाली मोहन कॉलरी की भूमिगत मुआरी कोयला खदान जिसे फॉरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने की वजह से विगत 8 माह पूर्व कोयले का उत्पादन बंद कर दिया गया एवं इस खदान में कार्यरत कर्मचारियों में से लगभग 300 कर्मचारी का स्थानांतरण अस्थाई रूप से भूमिगत शारदा खदान में कर दिया गया लेकिन 8 माह का समय बीत जाने के बावजूद भी इन कर्मचारियों को अभी भी स्थाई नहीं किया गया यह नौकरी तो शारदा खदान में बजाते हैं लेकिन इन्हें वेतन मोहन कालरी की मुआरी खदान के नाम पर ही मिलता है जबकि अस्थाई कर्मचारी को 3 माह के लिए ही रखा जा सकता है लेकिन कहीं ना कहीं प्रबंधन इस दिशा में लापरवाह नजर आ रहा है।

20 से 25 वर्षों से एक ही क्षेत्र में अंगद के पांव की तरह जमे अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर वेकोलि मुख्यालय क्यों नहीं करता करवाई।

गौरतलब है कि कन्हान क्षेत्र में कई वर्षों तक सबसे ज्यादा कोयले का उत्पादन देने वाली मुआरी खदान की दुर्दशा की वजह कहीं ना कहीं 20 से 25 वर्षों से एक ही जगह पर अंगद की पांव की तरह जमे लापरवाह उपक्षेत्रीय प्रबंधक, खान प्रबंधक, सहित स्थानीय‌‌ प्रबंधन वर्ग है जो की मुआरी खदान से ज्यादा से ज्यादा कोयला‌ का उत्पादन बढ़ाने की योजना नहीं बना पाए थे वहीं दूसरी ओर खदान के अंदर कार्यरत मजदूरों पर भी शिकंजा कसने में नाकामयाब रहे थे ऐसे जिम्मेदार अधिकारी कहीं ना कहीं इस खदान के बंद होने की वजह बने हैं। जिनकी वजह से मुआरी खदान में 1.6 मिलियन टन कोयला का भंडारण होने के बावजूद इस खदान को बंद करना पड़ा। वेकोलि मुख्यालय नागपुर के द्वारा मुआरी खदान को बंद करने एवं कार्यरत कर्मचारीयो के स्थानांतरण की सूची तो कुछ ‌‌ माह पूर्व ही जारी कर दी गई लेकिन कई वर्षों से इसी उपक्षेत्र अंबाड़ा में अपना पैर जमाए बैठे प्रबंधन के जिम्मेदारों के स्थानांतरण को लेकर वेकोलि मुख्यालय नियम अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं करता यह बात समझ से परे है।