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हीरे की कीमत - प्रेरक हिंदी कहानी

हीरे के हार की कीमत 

पुराने समय में किसी शहर में एक जौहरी रहता था, उसकी असमय मृत्यु हो गई। उसके परिवार में पत्नी और उसका एक बेटा था। जौहरी की मृत्यु के बाद उनके परिवार में पैसों की कमी आ गई। एक दिन मां ने अपने बेटे को हीरों का हार दिया और कहा - इसे अपने चाचा की दुकान पर बेच दो, इससे जो पैसा मिलेगा, वह हमारे काम आएगा।

लड़का हार लेकर अपने चाचा की दुकान पर पहुंच गया। चाचा ने हार देखा और कहा- बेटा अभी बाजार मंदा चल रहा है, इस हार को बाद में बेचना। तुम्हें पैसों की जरूरत है तो अभी मुझसे ले लो। तुम चाहो तो मेरी दुकान पर काम भी कर सकते हो।

लड़के ने चाचा की बात मान ली और अगले दिन से लड़का अपने चाचा की दुकान पर काम करने लगा। समय के साथ वह लड़का भी हीरों की अच्छी परख करने लगा था। वह असली और नकली हीरे को तुरंत ही पहचान लेता था।

अब जब लड़के को काम करते कुछ महीने हो गए तो माँ ने उससे कहा की अपने चाचा से पूछना की उस हीरे के हार की कितने कीमत हो गई है, दूसरे दिन लड़का दुकान पर अपने चाचा से हीरे के हार की कीमत पूछता है तो उसके चाचा उससे कहते हैं की मां से कहना की अभी बाजार थोड़ा और सुधरने दो अभी कीमत कम मिलेगी। 

फिर कुछ महीने और बीत जाते हैं फिर से लड़के की माँ चाचा से पूछती है कि हार की कीमत कितनी हो गई है, तो चाचा कहते हैं की अभी बाजार थोड़ा और सुधरने दो अभी कीमत कम है। 

फिर एक दिन उसके चाचा ने कहा, माँ से कहना कि अभी बाजार बहुत अच्छा चल रहा है, तुम अपना हीरों का हार बेच सकते हो। लड़का अपनी मां से वह हार लेकर दुकान आ गया और चाचा को दे दिया। लड़के से उसके चाचा ने कहा- अब तो तुम खुद भी हीरों की परख कर लेते हो, इस हार को देखकर इसकी कीमत का अंदाजा लगा सकते हो। इसीलिए तुम खुद इस हार की परख करो।

लड़के ने हार को ध्यान से देखा तो उसे मालूम हुआ कि हार में नकली हीरे लगे हैं और इसकी कोई कीमत नहीं है।लड़के ने पूरी बात बताई तो चाचा ने कहा- मैं तो शुरू से जानता हूं कि ये हीरे नकली हैं, लेकिन अगर मैं उस दिन तुम्हें ये बात कहता तो तुम मुझे ही गलत समझते। तुम्हें उस समय हीरों का कोई ज्ञान नहीं था। बुरे समय में अज्ञान की वजह से हम अक्सर दूसरों को ही गलत समझते हैं। अब क्योंकि तुम काम सीख चुके हो इसीलिए अब स्वयं का व्यापार शुरू करो मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।